Monday, July 14, 2008

बच्चों की फुलवारी

हँसते बच्चे , गुनगुनाते बच्चे
खेलते बच्चे, खिलखिलाते बच्चे
अच्छे लगते हैं।
कभी रोते, कभी गुस्साते
छोटी बातों पर इतराते
कभी - कभी आपस में
लड़ जाते,
फ़िर भी दोस्ती निभाते
क्षण भर में सबको अपना बनते
अच्छे लगते हैं।

2 comments:

Priyambara said...

bahut achcha prayas hai mini. badhai ho.

रावेंद्रकुमार रवि said...

सचमुच यह सच्ची कविता है,
इसमें सच्ची बात रची!

इसके सब नायक सच्चे हैं,
कहने को क्या बात बची!