. बचपन ..............शब्द सुनते ही बस्ते,किताबें, स्कूल, तोतली बोली आदि दृश्यगत होने हैं। मासूमियत से भरी यह एक आईसी उम्र होती है, जिसे मनचाहा आकार-विचार देकर जैसा चाहें ,व् ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण किया जा सकता है। बचपन को ऐसे स्वस्थ व् स्वच्छ प्रतियोगी वातावरण की जरुरत होती है जहाँ परस्पर सयोग की भावना पनपे, प्रतिभा का निखर हो, पर हरने वाला कुंठित भी न हो। वे जीते तो किलकारियों से सारा जहाँ गूंजे और हरे तो जितने की प्रेरणा ले। वैसे अनुन्सधनों से सिद्ध हो चुका है की खेल-खेल में दिए गए ज्ञान की गहरी पैठ होती है । अर्थात बच्चो के शारीरिक एवम मानसिक विकास हेतु किताबें पढ़ाए ही सबकुछ नहीं होती। बच्चों की एक अलग दुनिया होती है ,अथ उन्हें असा मंच मिलाना चाहिए जहाँ वह कुछ कर सकें .इन सभी बातो पर विचार करानेके बाद हमने " बाल महोत्सव" का आयोजन करने का फैसला लिया जो पिछले पाँच वर्षों से होता आ रहा है। इस आयोजन एक सांस्कृतिक आयोजन है जिसमें सामान्य ज्ञान ,भाषण, पेंटिंग, कहानी-कविता लेखन, नृत्य(एकल,samuh), एकल गायन,फंसी ड्रेस, कविता या रैम्स पाठ,नाटक, एकल अभिनय आदि। यह आयोजन स्कूल के बच्चों के लिए ही नहोता आया है। इस आयोजन के पिच्छे एक सोच रही है.चुकी हमलोग बिहार के आरा जैसे पिछडे इलाका से आते हैं। यह बात २००४ की है जब भोजपुर जिला का पूरा इलाका रणवीर सेना - माले आपसी खुनी -ज़मीनी विवाद से त्रस्त था .लगभग रोज ही नरसंहार की खबरे पर्दाने- सुन्सने में आती थी। हम यवनिका के लोग लगातार इस खुनी माहौल पर चिंतन किया करते थे.उस समय संस्था के कुछ सदस्य मीडिया से जुड़े हुए थे। फलतः प्रशासन से अच्छी बातचीत होती रहती थी। तब जिलाधिकारी जीतेन्द्र श्रीवास्तव तथा सदर अनुमंडलाधिकारी ,वीरेंदर प्रताप से बाल महोत्सव के सन्दर्भ में बात हुई। हमलोगों इन लोगों को इस आयोजन का प्रभाव बताया की कैसे हम सुदूर गाँव के बच्चों को इस आयोजन से जोडेंगे। दोनों अधिकारीयों ने हमें सहयोग करने की बात ही नहीं की बल्कि इस कार्यक्रम का नींव भी डाला ।
सन २००८ में बाल महोत्सव अपना पांचवा वर्षगांठ मानाने जा रहा है , उम्मीद्तः इस वर्ष भी बाल प्रतियोगियों की संख्या ७००० हज़ार से कम नहीं होगी .सौभाग्य की बात है की भोजपुरी इलाका से जुड़े लोग भी यथा सम्भव अपना सहयोग जहाँ है वहीं से कर रहे हैं। इस सांस्कृतिक महायज्ञ में शिरकत करें।
Wednesday, July 23, 2008
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1 comment:
Adhura kyon hai ye? pura karo.
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